‘कांग्रेस के पास शिवराज की टक्कर का कोई नेता नहीं’

इंदौर : मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिये कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करने की रणनीति को सत्तारूढ़ भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल की ‘मजबूरी’ करार दिया है। करीब साढ़े नौ साल से सूबे पर राज कर रही भाजपा का दावा है कि कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टक्कर का कोई नेता ही नहीं है।

भाजपा की प्रदेश इकाई के सह प्रवक्ता उमेश शर्मा ने आज ‘भाषा’ से कहा, ‘सूबे में कांग्रेस के पास ऐसा कोई राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं है, जिसे वह चुनावी मैदान में शिवराज के सामने उतारने का साहस कर सके। आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं करना उसकी रणनीति नहीं, बल्कि मजबूरी है।’

उन्होंने कहा, ‘सूबे में कांग्रेस के सारे क्षत्रपों का कुल राजनीतिक कद भी शिवराज के आगे बौना है। कांग्रेसी क्षत्रपों का प्रभाव अपने-अपने क्षेत्रों तक सीमित है, जबकि शिवराज पूरे प्रदेश के नेता हैं।’ शर्मा ने सूबे के कांग्रेसी क्षत्रपोंं के एकता के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘अगर कांग्रेस ने अपने किसी नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया, तो दूसरे खेमों के नेता उसे हराने में जुट जायेंगे।’ भाजपा के सह प्रवक्ता ने सूबे में विपक्ष को ‘मुद्दाविहीन’ बताया और कहा, भाजपा ने ‘शिवराज के नेतृत्व ने कांग्रेस की धार को कुंद कर दिया है।’

प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में जीत की ‘हैट्रिक’ बनाने की जुगत में जुटी भाजपा ने बहुत पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह शिवराज की अगुवाई में ये चुनाव लड़ेगी। लेकिन कांग्रेस की ओर से अब तक स्पष्ट नहीं है कि अगर वह इन चुनावों में भाजपा को सत्ता से बाहर करके सरकार बनाने में कामयाब रहती है, तो उसके किस नेता को मुख्यमंंत्री की कुर्सी सौंपी जायेगी। इस बारे में पूछे जाने पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, ‘हमारी प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की परंपरा नहीं रही है। इस रवायत के कायम रहने से आगामी विधानसभा चुनावों में हमारी जीत की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’

सलूजा ने कहा, ‘कर्नाटक का ताजा उदाहरण आपके सामने है। हमने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये बगैर भाजपा के खिलाफ जबर्दस्त जीत हासिल की। इसके बाद विधायकों की पसंद के आधार पर मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया का चुनाव किया गया। यह सिलसिला मध्यप्रदेश में भी दोहराया जायेगा।’ उन्होंने कहा, ‘वैसे भी मध्यप्रदेश की जनता की ओर से यह आवाज कभी नहीं उठी कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को तभी वोट देगी, जब पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी।’

सलूजा ने भाजपा के इस आरोप को खारिज किया कि कांग्रेस अपनी भीतरी गुटबाजी के चलते मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं कर पा रही है। सूबे के आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करने की रणनीति पर उसके ही कुछ नेता सवाल उठा रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता असलम शेरखान इस बारे में खासे मुखर हैं। शेरखान ने दो टूक कहा, ‘कांग्रेस का कर्नाटक में आजमाया फॉर्मूला मध्यप्रदेश में नाकाम हो जायेगा, क्योंकि दोनों सूबों के राजनीतिक हालात में काफी फर्क है।’

उन्होंने कहा, ‘मध्यप्रदेश में कांग्रेस को केंद्रीय उर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने की घोषणा करनी चाहिये। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।’ शेरखान ने यह भी सुझाया कि कांग्रेस को पार्टी महासचिव और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सूबे के आगामी विधानसभा चुनावों के लिये संगठन की रणनीति बनाने का जिम्मा सौंप देना चाहिये, ताकि सत्तारूढ़ भाजपा को इन चुनावों में तगड़ी चुनौती दी जा सके।

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